Tuesday, June 17, 2025
HomeBlogइंदिरा गांधी की हत्या, राजीव को मारने की साजिश... खालिस्‍तानियों का गढ़...

इंदिरा गांधी की हत्या, राजीव को मारने की साजिश… खालिस्‍तानियों का गढ़ बना है कनाडा, पीएम मोदी की सुरक्षा क्यों जरूरी?

इंदिरा गांधी की हत्या, राजीव को मारने की साजिश... खालिस्‍तानियों का गढ़ बना है कनाडा, पीएम मोदी की सुरक्षा क्यों जरूरी?

टोरंटो/नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को कनाडा ने जी7 शिखर सम्मेलन में शामिल होने का न्योता भेजा है। कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने प्रधानमंत्री मोदी को टेलीफोन किया था। जी7 एक अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मंच है और भारत के लिए इसकी उपयोगिता काफी ज्यादा है इसलिए प्रधानमंत्री कनाडा की यात्रा पर जा रहे हैं। लेकिन ने भारतीय प्रधानमंत्री को धमकी दी है। कनाडा में खालिस्तान समर्थक बेलगाम हो चुके हैं। भारत के खिलाफ जहर उगलते रहते हैं। और यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका या कनाडा में किसी भारतीय प्रधानमंत्री को निशाना बनाने की साजिश रची गई हो। 1985 में अमेरिका की धरती पर राजीव गांधी की हत्या की साजिश खालिस्तान समर्थकों ने रची थी, जिसे FBI ने नाकाम कर दिया था। लिहाजा भारत को कतई खालिस्तानियों की इस धमकी को हल्के में नहीं लेना चाहिए और भारत को कनाडा की सुरक्षा एजेंसियों पर आंख मूंदकर यकीन नहीं करना चाहिए।आज जब खालिस्तान समर्थक एक बार फिर अमेरिका और कनाडा की धरती से भारतीय नेतृत्व को चुनौती दे रहे हैं, तब यह अनिवार्य हो जाता है कि उस इतिहास को टटोलकर देखें कि खालिस्तान कितने खतरनाक बन चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी में भाग लेने कनाडा जाएंगे। ऐसे में समझना जरूरी हो जाता है, कि कैसे खालिस्तान समर्थकों ने पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या की साजिश रची थी? कैसे FBI ने आतंकियों की साजिश का पर्दाफाश किया था और सबसे महत्वपूर्ण इस सवाल का उठना जरूरी हो जाता है, कि खालिस्तान समर्थकों के खतरों को जानते हुए भी अमेरिका और कनाडा जैसे देश ऐसे तत्वों को समर्थन क्यों देते हैं?राजीव गांधी को अमेरिका में निशाना बनाने की कोशिशTime की रिपोर्ट के मुताबिक इंदिरा गांधी की हत्या के कुछ ही महीनों बाद साल 1985 में अमेरिका में खालिस्तान समर्थकों ने राजीव गांधी को अपना अगला टारगेट बताया था। इंदिरा गांधी की हत्या से पहले भारत का पंजाब खालिस्तान संघर्ष में फंसा हुआ था और इंदिरा गांधी ने ऑपरेशन ब्लूस्टार चलाया था। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी देश के नये प्रधानमंत्री बने। टाइम की रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका में खालिस्तान प्रदर्शनकारियों ने खुलेआम ‘अगला निशाना कौन… राजीव गांधी’ के नारे लगाए थे। इसके बाद FBI ने एक साजिश का पर्दाफाश किया था, जिससे पता चला था कि खालिस्तानी आतंकियों ने राजीव गांधी की अमेरिका यात्रा के दौरान उनकी हत्या की योजना बनाई थी। टाइम कि रिपोर्ट के मुताबिक FBI ने अंडरकवर एजेंट्स की मदद से गुरप्रताप सिंह बिर्क समेत कई लोगों को गिरफ्तार किया था। ये लोग एक ‘हिटमैन’ की तलाश में थे, जो राजीव गांधी के साथ साथ तत्कालीन हरियाणा के मुख्यमंत्री भजनलाल को भी निशाना बनाना चाहते थे। टाइम के मुताबिक जून 1985 में राजीव गांधी अमेरिका की यात्रा पर आने वाले थे। उस दौकान FBI ने तीन खालिस्तानी आतंकवादियों को गिरफ्तार किया था। गुरप्रताप सिंह बिर्क को FBI ने मुख्य आरोपी बनाया था। FBI की रिपोर्ट से पता चलता है कि FBI अंडरकवर एजेंट्स, इनकी गतिविधियों पर नजर रखे हुए थे। FBI के हलफनामे में कहा गया था कि FBI ने एक अंडरकवर एजेंट और 33 साल के गुरप्रताप सिंह बिर्क और अन्य सिखों के बीच बातचीत का वीडियो टेप बनाया है। ये सभी लोग प्लान को अंजाम देने के लिए पैरामिलिट्री ट्रेनिंग की बात कर रहे थे। हलफनामे में कहा गया कि बिर्क राजीव गांधी की हत्या करने के लिए सुपारी किलर की तलाश कर रहा था। FBI ने बिर्क और उसके तीन साथियों को न्यू ऑरलियन्स में उस होटल के बाहर गिरफ्तार किया गया था, जहां भजन लाल ठहरे हुए थे। हालांकि राजीव गांधी ने उसके बाद भी अमेरिका की यात्रा नहीं टाली थी।अमेरिका और कनाडा में खालिस्तानी नेटवर्क कितना गहरा?इंटरपोल, FBI और RCMP (Royal Canadian Mounted Police) की रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिका और कनाडा में 12 से ज्यादा खालिस्तान समर्थक संगठन मौजूद हैं। सिख फॉर जस्टिस (SFJ), बब्बर खालसा इंटरनेशन, खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स जैसे संगठन प्रमुख हैं। ये संगठन शरणार्थी कानून का दुरुपयोग कर राजनीतिक सुरक्षा प्राप्त करते हैं। कनाडा में 2023 के आंकड़ों के अनुसार, खालिस्तानी समर्थकों की अनुमानित संख्या 1.2 लाख से कुछ ज्यादा है। FBI की 2023 घरेलू खतरा रिपोर्ट में SFJ को एक “चरमपंथी वैचारिक खतरा” करार दिया गया था। कनाडा और अमेरिका में खालिस्तानी संगठनों की संख्या और नेटवर्क अब 1980 के दशक की तुलना में कई गुना ज्यादा फैल चुका है। खालिस्तान टाइगर फोर्स (KTF), बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI), सिख फॉर जस्टिस (SFJ), इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन (ISYF) जैसे संगठन अब डिजिटल माध्यम, सोशल मीडिया और फंडिंग नेटवर्क के जरिए ज्यादा शक्तिशाली हो चुके हैं।कनाडा में खालिस्तान समर्थकों की संख्या बहुत छोटी है, लेकिन नई पीढ़ी के नौजवान, जिन्हें भारत को लेकर ज्यादा जानकारी नहीं है, वो खालिस्तानियों के बहकावे में काफी जल्दी आ जाते हैं। कनाडा की राजनीति में कई सांसद और नेता ऐसे हैं जो खालिस्तानी विचारधारा के प्रति नरम रुख रखते हैं, या वोट बैंक की राजनीति के चलते विरोध नहीं करते हैं, इससे उनका हौसला काफी बढ़ गया है। यही वजह है कि जिस खालिस्तान समर्थक आतंकवादियों ने एयर इंडिया की एक फ्लाइट को बम धमाके में उड़ा दिया था, उसे कनाडा में फ्री स्पीच के नाम पर समर्थन दिया जाता है। पश्चिमी देशों ने हमेशा से भारत विरोधी तत्वों का साथ दिया है, लिहाजा उनके खतरों को बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।वहीं, नवभारत टाइम्स बात करते हुए दिग्गज जियो-पॉलिटिकल एक्सपर्ट कमर आगा ने कहा कि ‘प्रधानमंत्री मोदी को जब न्योता दिया गया होगा, उनकी सुरक्षा को लेकर तभी बातचीत शुरू हो गई होगी। हमारी सुरक्षा एजेंसियां वहां गई होंगी। उन्होंने जांच किया होगा और ये प्रक्रिया अभी भी जारी होगी। कनाडा में खालिस्तानी काफी एक्टिव हैं, उनके पास काफी पैसा है और वो काफी मजबूत हैं। उन्हें राजनेताओं का समर्थन हासिल है, इसलिए भारत को उनकी धमकी को गंभीरता से लेने की जरूरत होगी और भारत ने लिया भी होगा। उनकी एजेंसियों के साथ हमारी एजेंसी लगातार बात कर रही होगी।’पीएम मोदी की सुरक्षा के लिए भारत को क्या करना चाहिए?कनाडा और अमेरिका से ऑपरेट होने वाले ये खालिस्तानी संगठन भारत के लिए अभी भी खतरनाक बने हुए हैं। ये संगठन सिर्फ राजनीतिक एजेंडे तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये आतंकवाद, फंडिंग, हथियारों की तस्करी और भारत विरोधी प्रचार में शामिल हैं। पंजाब में हिंसा भड़काने, युवाओं को कट्टरपंथ की ओर धकेलने और पाकिस्तान की ISI से गहरा तालमेल इन्हें खतरनाक बनाता है। SFJ को भारत ने आतंकी संगठन घोषित कर रखा है उसके संस्थापक गुरपतवंत सिंह पन्नू को इंटरपोल नोटिस जारी हो चुका है। लिहाजा पीएम मोदी की सुरक्षा के लिए भारत को काफी सतर्कता बरतनी चाहिए। भारत को अपनी उच्चस्तरीय टीम कनाडा भेजनी चाहिए, जिसमें SPG के साथ साथ भारतीय खुफिया एजेंसी के अधिकारी भी शामिल रहे। इसके अलावा संभावित हमलावरों, फंडिंग नेटवर्क, संदिग्ध आयोजनों पर नजर रखी जानी चाहिए।कनाडा और अमेरिका की एजेंसियों के साथ साझा वॉचलिस्ट तैयार कर खालिस्तानी तत्वों की पहचान की जाए और उनकी गतिविधियों पर रोक लगाने की कोशिश की जाए। इसके अवाला पीएम मोदी कनाडा में जहां-जहां जाने वाले हों, उनकी यात्रा के हर स्थल पर मल्टी-लेयर सुरक्षा घेरे बनाए जाएं, जिसमें हवाई निगरानी, ब्लास्ट-प्रूफ वाहन और साइबर मॉनिटरिंग शामिल हो। भारतीय समुदाय को सतर्क रहने और संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट करने को प्रोत्साहित करना चाहिए। भारत को अपनी कूटनीतिक ताकत का इस्तेमाल करते हुए कनाडा और अमेरिका पर दबाव बनाना होगा कि वे खालिस्तानी संगठनों को खुलेआम काम नहीं करने दें। यूएन, इंटरपोल और फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) जैसे वैश्विक मंचों पर इन संगठनों को प्रतिबंधित करने की मांग तेज करनी चाहिए। साइबर वॉरफेयर यूनिट को भी सतर्क रहना होगा, क्योंकि खालिस्तानी अब डिजिटल टूल्स का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं, चाहे वो डीपफेक हो, झूठे प्रोपेगैंडा या भारत विरोधी पब्लिक ओपिनियन बनाना, इन्हें समय रहते काउंटर करना चाहिए।पेंटागन के पूर्व अधिकारी माइकल रुबिन ने कहा कि “कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी मूल रूप से एक बैंकर हैं। वह भारत के महत्व को समझते हैं। जस्टिन ट्रूडो एक ऐसे राजनेता थे जो छवि और कल्पना के मामले में सौदा करते थे और इसलिए यह समझ में आता है कि कार्नी संबंधों में परिपक्वता बहाल करना चाहते हैं।” प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सुरक्षा सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय छवि की सुरक्षा है। भारत को पूरी तरह से सजग, सक्रिय और आक्रामक रूप से खालिस्तानी नेटवर्क के खिलाफ खड़ा होना होगा। भारत को राजनीतिक, कूटनीतिक और खुफिया हर मोर्चे पर ऐसे तत्वों को हराना होगा और पश्चिमी देशों के उस नैरेटिक को काउंटर करना होगा, जिसमें वो फ्रीडम ऑफ स्पीच के नाम पर आतंकवाद और आतंकवादियों का समर्थन करने से भी नहीं हिचकते।

​ 

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments