Monday, June 23, 2025
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ईरान जो कह रहा है उसे चीन और भारत होने नहीं देंगे, दोनों सबसे बड़े सौदागर, अमेर‍िका का कैलकुलेशन समझ‍िए

ईरान जो कह रहा है उसे चीन और भारत होने नहीं देंगे, दोनों सबसे बड़े सौदागर, अमेर‍िका का कैलकुलेशन समझ‍िए

नई दिल्ली: () को बंद करने की धमकी दे रहा है। लेकिन, अमेरिका के पूर्व पेंटागन अधिकारी माइकल रुबिन का कहना है कि यह कदम ‘आत्मघाती’ होगा। अमेरिका और चीन दोनों यह बात जानते हैं। अमेरिका-इजरायल की ओर से ईरानी परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले के बाद तनाव बढ़ गया है। ईरान ने एक बड़ी चेतावनी जारी की है कि को ‘घंटों के भीतर’ बंद किया जा सकता है। सैन्य विश्लेषक और रणनीतिक विशेषज्ञ इस बात को लेकर संशय में हैं। यह जलडमरूमध्य एक पतला समुद्री मार्ग है। इससे रोजाना लगभग 2 करोड़ बैरल तेल गुजरता है। यह न केवल ईरान के दुश्मनों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि उसके करीबी सहयोगियों जैसे चीन और भारत के लिए भी बहुत जरूरी है।रुबिन ने कहा कि होर्मुज से होकर जाने वाले ईंधन का 44 फीसदी एशिया में जाता है। इसमें ज्यादातर चीन और कुछ हद तक भारत शामिल है। उन्होंने कहा कि इससे थोड़ी देर के लिए व्यवधान हो सकता है। लेकिन, इसके आगे ईरान आत्महत्या करने जैसा कदम उठाएगा। रुबिन ने जोर देकर कहा कि ईरान अपनी ईंधन जरूरतों के लिए आयात पर निर्भर है। इसमें गैसोलीन भी शामिल है। होर्मुज को बंद करने से उसके विरोधियों को नुकसान पहुंचने से पहले उसकी अपनी अर्थव्यवस्था का दम घुट जाएगा। उन्होंने कहा कि इससे उनकी सेना और अर्थव्यवस्था कमजोर हो जाएगी। इससे यह साफ होता है कि यह धमकी सैन्य वास्तविकता से ज्यादा राजनीतिक दिखावा हो सकती है।

ईरानी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है चीन

चीन ईरान का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार और उसके तेल का सबसे बड़ा खरीदार है। भारत भी ईरान से तेल खरीदता है। इस मामले में चीन शांत लेकिन शक्तिशाली भूमिका निभा सकता है। होर्मुज को पूरी तरह से बंद करने से चीन की ऊर्जा सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी। साथ ही बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत आने वाले महत्वपूर्ण सप्लाई मार्ग भी बाधित हो जाएंगे। चीन ने ईरानी बुनियादी ढांचे में भारी निवेश किया है। इसमें हाल ही में शुरू हुई शीआन से तेहरान तक की रेल लाइन भी शामिल है। यह रेल लाइन व्यापार को मजबूत करने के लिए बनाई गई है। एक क्षेत्रीय संघर्ष जो तेल की आपूर्ति को काट देता है और लॉजिस्टिक्स को पटरी से उतार देता है, वह बीजिंग के हित में नहीं है। इस मामले में भारत की भी कमोबेश यही स्‍थ‍ित‍ि है।

पर्दे के पीछे से आर्थिक प्रभाव का इस्तेमाल होगा

एक विश्लेषक ने कहा कि चीन तेहरान के बयानों का सार्वजनिक रूप से विरोध नहीं कर सकता है। लेकिन, वह पर्दे के पीछे से अपने आर्थिक प्रभाव का इस्तेमाल करेगा। अगर होर्मुज को बंद किया जाता है तो सबसे पहले चीन को नुकसान होगा। सऊदी अरब और यूएई से होर्मुज को बाईपास करने वाली पाइपलाइनें कुछ हद तक विकल्प प्रदान करती हैं। लेकिन, उनकी क्षमता सीमित है। अमेरिका ने भी ऊर्जा निर्यात बढ़ा दिया है। वह खुद को एक बैकअप सप्लायर के रूप में स्थापित कर रहा है।तेहरान की ओर से दी जा रही धमकियों के बावजूद होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करना जितना आसान कहा जा रहा है, उतना है नहीं। ईरान को इससे फायदे से ज्यादा नुकसान होगा। चीन की ऊर्जा सप्लाई खतरे में है। ऐसे में ईरान को अपने प्रतिद्वंद्वियों और सहयोगियों दोनों से तेल का प्रवाह बनाए रखने के लिए दबाव का सामना करना पड़ सकता है।

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