अमेरिका को क्यों मना रहा इजरायल
दरअसल, इजरायल के पास ईरान के फोर्डो यूरेनियम संवर्धन स्थल को नष्ट करने के लिए आवश्यक बंकर बस्टर बम और बड़े बमवर्षक विमान नहीं हैं। ईरान ने यहां पहाड़ियों से घिरे एक इलाके में जमीन के अंदर अंडरग्राउंड रिएक्टर बनाए हैं। अमेरिका के पास बंकर बस्टर बम भी है और बमवर्षक विमान भी। इतना ही नहीं, इन बमवर्षक विमानों की रेंज में पूरा ईरान है। यही कारण है कि इजरायल चाहता है कि अमेरिका भी इस संघर्ष में शामिल हो और ईरान पर हमला करे। इससे इजरायल को एक सुरक्षा का भी अहसास होगा, क्योंकि ईरान भूलकर भी अमेरिका पर हमला करने की हिमाकत नहीं करेगा।
इजरायली हमले पर अमेरिका की क्या है नीति
ट्रंप प्रशासन ने अब तक इजरायल के ऑपरेशन से खुद को दूर रखा है। अमेरिका का कहना है कि वह इजरायली हमलों में किसी भी तरह से शामिल नहीं है। अमेरिका को आशंका है कि ईरान मध्य पूर्व में उसके सैन्य ठिकानों को निशाना बना सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि ईरान पर सीधे हमला करना, भले ही अमेरिका की भागीदारी एक ही साइट पर बमबारी तक सीमित हो, उसे सीधे युद्ध में खींच लेगा। हालांकि, अगर ऑपरेशन खत्म होने के बाद भी फोर्डो संयंत्र चालू रहता है, तो इजरायल ईरान के परमाणु कार्यक्रम को “खत्म” करने के अपने लक्ष्य में विफल हो जाएगा।
क्या ईरान पर हमले में शामिल होगा अमेरिका
शुक्रवार को व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने इस बात से इनकार किया कि अमेरिका इस संघर्ष में शामिल होने जा रहा है। एक दूसरे अमेरिकी अधिकारी ने शनिवार को पुष्टि की कि इजरायल ने ट्रंप प्रशासन से युद्ध में शामिल होने का आग्रह किया है, लेकिन कहा कि वर्तमान में प्रशासन इस पर विचार नहीं कर रहा है। वहीं, एक इजरायली सूत्र ने कहा कि अमेरिका इस अनुरोध पर विचार कर रहा है और जोर देकर कहा कि इजरायल को उम्मीद है कि ट्रंप इस पर सहमत होंगे।
अमेरिका बोला- जो आज हो रहा उसे नहीं रोक सकते
व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को इजरायल के हमलों का जिक्र करते हुए एक्सियोस से कहा कि “आज जो कुछ भी होता है उसे रोका नहीं जा सकता है। लेकिन अगर ईरान इच्छुक है तो हम इस संघर्ष के सफल शांतिपूर्ण समाधान के लिए बातचीत करने की क्षमता रखते हैं। ईरान के लिए शांति स्थापित करने का सबसे तेज़ तरीका अपने परमाणु हथियार कार्यक्रम को छोड़ना है।”