क्या कहता है नियम?
भारत के उपराष्ट्रपति का पद देश का दूसरा उच्चतम संवैधानिक पद है। उनका कार्यकाल पांच वर्ष की अवधि का होता है। लेकिन वह इस अवधि के समाप्त हो जाने पर भी अपने उत्तराधिकारी के पद ग्रहण करने तक, पद पर बने रह सकते हैं। संविधान इस बात पर मौन है कि भारत के उपराष्ट्रपति का कार्यकाल समाप्त होने से पहले जब उनका पद रिक्त हो जाता है या जब उपराष्ट्रपति भारत के राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हैं, तब उपराष्ट्रपति के कर्तव्यों का पालन कौन करता है। संविधान में एकमात्र उपबंध राज्य सभा के सभापति के रूप में उपराष्ट्रपति के ऐसे कृत्य से संबंधित है जिसका निर्वहन; ऐसी रिक्ति की अवधि के दौरान, राज्य सभा के उप सभापति द्वारा या भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्राधिकृत किए गए राज्य सभा के किसी अन्य सदस्य द्वारा किया जाता है। उपराष्ट्रपति भारत के संविधान के तहत राज्यसभा का पदेन सभापति होता है। यदि उपराष्ट्रपति इस्तीफा दे देते हैं या उनका पद रिक्त हो जाता है, तो राज्यसभा के उपसभापति (Deputy Chairman of Rajya Sabha) राज्यसभा की कार्यवाही की जिम्मेदारी संभालते हैं, जैसा कि अनुच्छेद 89 में प्रावधानित है।
अनुच्छेद 68 में क्या है?
यह उपराष्ट्रपति के पद के लिए समय-पूर्व रिक्ति (जैसे इस्तीफा, निधन, या हटाए जाने के कारण) के मामले में प्रावधान करता है। इसमें कहा गया है कि रिक्ति होने पर नया उपराष्ट्रपति चुनने के लिए जल्द से जल्द चुनाव कराया जाना चाहिए। यदि उपराष्ट्रपति का कार्यकाल समाप्त होने से पहले रिक्ति होती है, तो नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति उस कार्यकाल के शेष समय के लिए पद ग्रहण करता है। आकस्मिक रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचित व्यक्ति, अनुच्छेद 67 के प्रावधानों के अनुसार, पद ग्रहण करने की तारीख से पांच वर्ष की पूरी अवधि तक के लिए पद धारण करेगा।
पहले ऐसा कब हुआ था?
इससे पहले उपराष्ट्रपति कृष्णकांत का निधन के समय उपराष्ट्रपति का पद रिक्त हुआ था। कृष्णकांत का 27 जुलाई 2002 को उनके कार्यकाल के दौरान निधन हो गया था। कृष्णकांत के निधन के समय भारत के राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम थे। ऐसे में एक महीने के भीतर ही उपराष्ट्रपति का चुनाव कराया गया था। उस समय भैरों सिंह शेखावत को 19 अगस्त 2002 को भारत का उपराष्ट्रपति चुना गया था। इसके बाद उन्होंने पद ग्रहण किया। हालांकि, उस समय राज्यसभा में नजमा हेपतुल्ला उपसभापति थीं। ऐसे में उन्होंने ही उच्च सदन के चेयरमैन के कामकाज की जिम्मेदारी का निर्वहन किया था।