पाकिस्तान को तुर्की के हथियारों के निर्यात में भारी वृद्धि
तुर्की-पाकिस्तान संबंध साझा भू-राजनीतिक उद्देश्यों और वैचारिक झुकावों के आधार पर हाल के वर्षों में काफी मजबूत हुए हैं। तुर्की कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन करता है और बदले में पाकिस्तान भी ग्रीस और साइप्रस के साथ विवाद में तुर्की का समर्थन करता है। तुर्की चीन के बाद पाकिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बन गया है। 2015-2019 और 2020-2024 के बीच पाकिस्तान को तुर्की के हथियारों के निर्यात में 103% की वृद्धि हुई है।
पाकिस्तान ने तुर्की से कौन-कौन से हथियार खरीदे हैं
पाकिस्तान और तुर्की के प्रमुख रक्षा सौदों में बायरकटर टीबी2 ड्रोन और केमांकेस क्रूज मिसाइलों का अधिग्रहण, सामरिक हमलों के लिए असीसगार्ड सोंगर सशस्त्र यूएवी की खरीद, पाकिस्तान की नौसेना को आधुनिक बनाने के लिए चार MILGEM-क्लास कोरवेट के लिए $1.5 बिलियन का सौदा और पाकिस्तान की अगोस्टा 90B पनडुब्बियों को अपग्रेड करना शामिल हैं।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की का पाकिस्तान को समर्थन
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की ने न सिर्फ पाकिस्तान का समर्थन किया था, बल्कि उसे सैन्य सहायता भी दिया था। तुर्की ने पाकिस्तान को बेराकटर टीबी2, वाईआईएचए और सोंगर्स ड्रोन दिए, जिनका इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया गया। कई रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि तुर्की के सैन्य ऑपरेटिव भारतीय सेना के खिलाफ़ रियल-टाइम स्ट्राइक ऑपरेशन में शामिल थे। इन्हीं रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि भारतीय जवाबी कार्रवाई में कम से कम दो तुर्की सैन्य ऑपरेटिव के मारे जाने की पुष्टि हुई थी।
तुर्की-पाकिस्तान दोस्ती से भारत चौकन्ना
तुर्की और पाकिस्तान के बढ़ते संबंधों से भारत चौकन्ना है। ये दोनों देश सिर्फ सैन्य सहयोह को ही नहीं बढ़ा रहे हैं, बल्कि उपग्रह प्रौद्योगिकी, साइबर युद्ध और अंतरिक्ष अन्वेषण में संयुक्त उपक्रमों तक इसका विस्तार कर रहे हैं। ऐसे में भारत के लिए कई मोर्चों पर खतरा बढ़ रहा है। ऐसे में पाकिस्तान और तुर्की की जोड़ी को काउंटर करने के लिए भारत ने न सिर्फ पूर्वी यूरोप के देशों ग्रीस, आर्मेनिया और साइप्रस के साथ संबंधों का विस्तार किया है, बल्कि काउंटर-ड्रोन सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध इकाइयों की खरीद में तेजी लाया है।