तेज प्रताप से बातचीत
ध्यान देने योग्य बात है कि इस साल के अंत में होने वाले चुनाव में सपा, राजद नेता के साथ खड़ी रहेगी। इस समर्थन के पक्ष में अखिलेश यादव कहते हैं कि उनकी पार्टी छत्रपति शाहूजी महाराज, डॉ. बीआर अंबेडकर, राम मनोहर लोहिया और सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के दिखाए रास्ते पर चलेगी। और वैसे भी समाजवाद का विरोध करने वाले धर्मनिरपेक्षता के विरोधी होते हैं और उनके विरुद्ध समाजवादी पार्टी हमेशा खड़ी रहती है। अखिलेश यादव के दूसरे सिरे की बात करें तो ये तेज प्रताप से जुड़ा भी दिखता है। अखिलेश यादव ने हाल ही में लखनऊ में कहा कि उन्होंने तेज प्रताप यादव से वीडियो कॉल पर बात की थी।
क्या हुई बातचीत?
इस बातचीत के बारे में उन्होंने बताया कि से दो बार वीडियो कॉल के जरिए बात हुई। उन्होंने तेज प्रताप यादव से पूछा कि वे कहां से चुनाव लड़ना चाहते हैं। इधर, पूर्व उप मुख्यमंत्री तेज प्रताप का भी बयान आया कि मां- पिता उनके लिए भगवान हैं। लोग मेरे खिलाफ साजिश इसलिए रच रहे हैं कि वे मुझे दूसरा लालू यादव मान रहे हैं। इसी दौरान तेज प्रताप ने यह भी कहा कि मैं किंगमेकर बनना चाहता हूं। वह चाहेंगे कि इस साल के अंत में होने वाले चुनावों के बाद उनके भाई तेजस्वी यादव बिहार के मुख्यमंत्री बने, लेकिन वह किंगमेकर की भूमिका निभाना चाहते हैं।
लालू यादव का ट्रायंगल
राजनीतिक गलियारों में इन तीन बयानों का निहितार्थ निकाला जा रहा है। क्या सपा के माध्यम से तेज प्रताप की एंट्री होगी और गठबंधन की राजनीति में सपा की भूमिका निर्धारित होगी? या फिर अपने समर्थन के जरिए तेज प्रताप की नयी पारी की शुरुआत राजद के भीतर ही हो! आखिर अखिलेश यादव का राजद परिवार के प्रति दिख रहे अगाध प्रेम का रंग राजनीति नहीं तो और क्या है? बहरहाल, आने वाले दिनों में संशय के बादल छटेंगे और कई प्रश्नों के जवाब भी।