‘भारत को करना होगा थर्मोन्यूक्लियर बम का टेस्ट’
इससे पहले साल 2022 में अमेरिका के चर्चित थिंक टैंक कार्नेगी इंडोमेंट के विशेषज्ञ एश्ले टेलिस ने चीन के बढ़ते खतरे पर भारत को कड़ी चेतावनी दी थी। टेलिस ने कहा कि भारत को एक बार फिर से थर्मोन्यूक्लियर बम का परीक्षण करना ही होगा। भारत को अपनी ताकत को अपग्रेड करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि यह अमेरिका के हित में है कि वह भारत को इस टेस्ट के लिए दंडित नहीं करे। उन्होंने कहा कि एटामिक वेपन और थर्मोन्यूक्लियर वेपन में बड़ा अंतर है। परमाणु बम कम क्षमता के होते हैं और कुछ ही किलोटन के होते हैं। वहीं थर्मोन्यूक्लियर वेपन की बात करें तो यह सैकड़ों टन के बराबर यील्ड पैदा कर सकता है। एश्ले टेलिस ने इंडियन एक्सप्रेस अखबार को दिए अपने इंटरव्यू में बताया था कि जापान के हिरोशिमा और नागासाकी को तबाह करने वाले परमाणु बम 15 से 20 किलोटन तक के थे। उन्होंने कहा कि हिरोशिमा और नागासाकी छोटे कस्बे थे। ये शहर आज के दक्षिण एशिया के विशाल और घनी आबादी वाले शहरों जैसे बीजिंग, शंघाई, नई दिल्ली, मुंबई और कराची के मुकाबले कुछ नहीं थे। परमाणु युग की शुरुआत में माना जाता था कि महाविनाशक ताकत वाले एक परमाणु बम एक शहर के लिए काफी है। इससे प्रभावी तरीके से परमाणु प्रतिरोधक को स्थापित किया गया। वहीं थर्मोन्यूक्लियर बम की बात करें तो यह बहुत कम संख्या में हैं लेकिन दुनिया में महाप्रलय लाने की ताकत रखते हैं।
‘चीन के शहरों को तबाह करने के लिए जरूरी’
टेलिस ने बताया कि शीतयुद्ध के दौरान चीन के पास 200 से कम परमाणु बम थे लेकिन इसमें ज्यादातर थर्मोन्यूक्लियर बम थे। ये परमाणु प्रतिरोधक क्षमता के लिए पर्याप्त थे। उन्होंने कहा कि साल 1998 में भारत ने इसी तरह की ताकत को हासिल करने का प्रयास किया था। टेलिस ने कहा, ‘मैं समझता हूं कि भारत का थर्मोन्यूक्लियर बम का परीक्षण फेल था। अगर भारत का चीन और पाकिस्तान के साथ रिश्ता स्थिर रहता है तो उसे थर्मोन्यूक्लियर बम की जरूरत नहीं होगी। पाकिस्तान के ऐसे बहुत कम शहर हैं जिन्हें तबाह करने के लिए थर्मोन्यूक्लियर बम की जरूरत होगी। हालांकि चीन के लिए थर्मोन्यूक्लियर बम प्रतिरोधक क्षमता बेहद जरूरी है। चीन का आकार बहुत बड़ा है, उसके शहर बहुत बड़े हैं और ड्रैगन के पास पर्याप्त परमाणु बढ़त है।’ बता दें कि पाकिस्तान के साथ सीमित युद्ध के बाद भारत और चीन के रिश्ते भी अब बिगड़ रहे हैं। चीन ने युद्ध के दौरान कहा था कि वह पाकिस्तान के संप्रभुता और अखंडता की रक्षा करेगा। ऐसे में कई विश्लेषकों का कहना है कि अब भारत को चाहिए कि वह चीन के खिलाफ प्रभावी परमाणु प्रतिरोधक क्षमता हासिल करने के लिए थर्मोन्यूक्लियर बम का फिर से परीक्षण करे। भारत के पास अभी 180 परमाणु बम हैं, वहीं चीन की संख्या 500 तक पहुंच चुकी है। चीन की योजना है कि अमेरिका को टक्कर देने के लिए 1500 परमाणु बम आने वाले वर्षों में बनाया जाए। वहीं पाकिस्तान भी 170 परमाणु बमों के साथ भारत को गीदड़भभकी दे रहा है। पाकिस्तान का दावा है कि उसके पास टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन है जो छोटे इलाके को तबाह कर सकती है। भारत के साथ लड़ाई के दौरान पाकिस्तानी नेता लगातार भारत को परमाणु हमले की धमकी दे रहे थे। भारत ने अपने परमाणु सिद्धांत में साफ कहा है कि अगर उसके ऊपर परमाणु हमला होगा तभी वह एटम बम से जवाब देगा।
भारत को बनानी होगी हाइपरसोनिक मिसाइल
वहीं कई विश्लेषकों का कहना है कि भविष्य की चीन और पाकिस्तान की चुनौतियों से निपटने के लिए भारत को हाइपरसोनिक मिसाइलों का टेस्ट तेज करना चाहिए। हाइपरसोनिक मिसाइलें आधुनिक ब्रह्मास्त्र हैं जिन्हें किसी भी एयर डिफेंस सिस्टम से गिराया नहीं जा सकता है। भारत को पाकिस्तान के खिलाफ सफलता दिलाने में ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल ने बहुत अहम भूमिका निभाई लेकिन चीन के लिए हाइपरसोनिक मिसाइल बेहद जरूरी है। चीन ने इस क्षेत्र में पहले ही बड़ी कामयाबी हासिल कर रखी है। अमेरिका भी चीन की हाइपरसोनिक मिसाइलों से भय खाता है। ऐसे में भारत को बड़ी तैयारी करनी होगी ताकि चीन पाकिस्तान संग मिलकर कोई भी हमला करने से पहले 5 बार सोचे।