Friday, July 11, 2025
HomeBlogभारत का दोस्त अपने सबसे बड़े दुश्मन से करेगा दोस्ती? बदल जाएगा...

भारत का दोस्त अपने सबसे बड़े दुश्मन से करेगा दोस्ती? बदल जाएगा काकेशस का समीकरण, तुर्की की बल्ले-बल्ले

भारत का दोस्त अपने सबसे बड़े दुश्मन से करेगा दोस्ती? बदल जाएगा काकेशस का समीकरण, तुर्की की बल्ले-बल्ले

येरेवन/बाकू: भारत के करीबी दोस्त आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशिनयान अपने सबसे बड़े दुश्मन अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव से इस महीने के अंत में दुबई में मिलने वाले हैं। ऐसा माना जा रहा है कि इस दौरान आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच शांति समझौता हो सकता है। अगर ऐसा होता है तो इससे दोनों देशों की करीब ढाई दशक पुरानी दुश्मनी खत्म हो सकती है। इतना ही नहीं, इससे काकेकश क्षेत्र का समीकरण भी बदल सकता है। काकेशस (Caucasus) एक भौगोलिक क्षेत्र है जो पूर्वी यूरोप और पश्चिमी एशिया के बीच स्थित है। मिडिल ईस्ट आई की रिपोर्ट के अनुसार, दोनों देश शांति समझौते की दिशा में बातचीत जारी रखे हुए हैं। दोनों नेताओं की पिछली मुलाकात मई में अल्बानिया के तिराना में यूरोपीय राजनीतिक समुदाय शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी, जहां उन्होंने संचार चैनल खुले रखने का संकल्प लिया था।

आर्मेनिया पर अतिरिक्त शर्ते लाद रहा अजरबैजान

हालांकि आर्मेनिया और अजरबैजान मार्च में एक मसौदा शांति समझौते पर आम सहमति पर पहुंच गए थे, लेकिन बाकू अभी भी औपचारिक रूप से समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले कई अतिरिक्त शर्तों पर जोर दे रहा है। अजरबैजान की मांग है कि येरेवन अपने संविधान में संशोधन करके अजरबैजानी क्षेत्र के संदर्भों को हटा दे। इसके अलावा अजरबैजान की मांग यह भी है कि आर्मेनिया में यूरोपीय संघ निगरानी मिशन (ईयूएमए) को समाप्त कर दिया जाए और आर्मेनिया ओएससीई मिन्स्क समूह को भंग कर दे, जिस पर बाकू ने पिछले तीन दशकों से पक्षपात का आरोप लगाया है।

आर्मेनिया और अजरबैजान पुराने दुश्मन

आर्मेनिया और अजरबैजान 1993 के नागोर्नो-कारबाख युद्ध के बाद से संघर्ष में हैं, जब अर्मेनियाई सेना ने सोवियत संघ के पतन के बाद विवादित एन्क्लेव पर कब्जा कर लिया था। 2020 के अंत में छह हफ्ते तक चले खूनी युद्ध के बाद, अजरबैजान ने नागोर्नो-कराबाख को वापस लेने के लिए सितंबर 2023 में एक सैन्य अभियान शुरू किया। इसके परिणामस्वरूप युद्धविराम समझौता हुआ। अधिकांश जातीय अर्मेनियाई भाग गए, और अलग हुए क्षेत्र आर्ट्सख को आधिकारिक तौर पर 1 जनवरी 2024 को भंग कर दिया गया।

आर्मेनिया और अजरबैजान मजबूरी में कर रहे शांति समझौता

रिपोर्ट में बताया गया है कि दुबई में प्रस्तावित बैठक एक सकारात्मक संकेत है, जो दर्शाता है कि दोनों पक्ष चल रही असहमतियों के बावजूद बातचीत करने के लिए तैयार हैं। पशिनयान को अगले साल चुनाव का सामना करना पड़ेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि यह संभावना नहीं है कि वह मतदान से पहले संवैधानिक जनमत संग्रह को आगे बढ़ा सकेंगे। इस बीच, तुर्की चुपचाप अजरबैजान से शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने का आग्रह कर रहा है। तुर्की ईरान की घटती शक्ति और क्षेत्र में तेजी से बदलते समीकरण की याद दिला रहा है।

तुर्की की शह पर समझौते को राजी हुए आर्मेनिया और अजरबैजान

आर्मेनिया के साथ अंकारा की अपनी सामान्यीकरण प्रक्रिया अजरबैजान और आर्मेनिया के बीच संभावित शांति समझौते से जुड़ी हुई है। तुर्की के अधिकारी आर्मेनिया को तथाकथित मध्य गलियारे के लिए एक महत्वपूर्ण देश के रूप में देखते हैं, जो तुर्की को सीधे मध्य एशिया से जोड़ेगा। तुर्की की कंपनियां आर्मेनिया में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में भाग लेने के लिए भी उत्सुक हैं। सूत्रों ने कहा कि अजरबैजान की आपत्तियों के बावजूद, तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने पिछले महीने अर्मेनियाई प्रधानमंत्री की तुर्की की पहली आधिकारिक यात्रा में पशिनयान की मेजबानी की थी।

​ 

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments