Monday, June 30, 2025
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महाराष्ट्र : हिंदी भाषा को अनिवार्य बनाने के दोनों फैसले रद्द, देवेंद्र फडणवीस का बड़ा ऐलान

महाराष्ट्र : हिंदी भाषा को अनिवार्य बनाने के दोनों फैसले रद्द, देवेंद्र फडणवीस का बड़ा ऐलान

मुंबई: महाराष्ट्र सरकार ने रविवार को तीन भाषा नीति पर लिए गए दो सरकारी आदेश रद्द कर दिए। विपक्ष का आरोप था कि सरकार हिंदी को राज्य के लोगों पर थोपने की कोशिश कर रही है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अब भाषा फार्मूला लागू करने के लिए एक समिति बनाने की घोषणा की है। यह समिति तीन भाषा नीति पर विचार करेगी और अपनी सिफारिशें देगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि नरेंद्र जाधव समिति माशेलकर समिति की रिपोर्ट का अध्ययन करेगी। यह उन लोगों से भी बात करेगी जो इसका विरोध कर रहे हैं। इसके बाद यह तीन भाषा नीति को लागू करने पर अपनी सिफारिशें देगी। मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि उनकी सरकार की नीति मराठी और मराठी छात्रों पर केंद्रित है। वे इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करना चाहते। उन्होंने कहा कि हमारी नीति मराठी केंद्रित और मराठी छात्र केंद्रित है। हम इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करना चाहते।क्यों लिया गया फैसला?दरअसल महाराष्ट्र में स्कूली शिक्षा में कक्षा 1 से आगे की पढ़ाई में हिंदी भाषा को अनिवार्य करने के फैसले पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। इस फैसले के खिलाफ शिवसेना ठाकरे गुट और मनसे पार्टी 5 जुलाई को महारैली निकालेगी। इसके अलावा कई पार्टियां भी इस फैसले का विरोध कर रही हैं। इसलिए अब महाराष्ट्र सरकार ने बड़ा फैसला किया है। विधान परिषद का मानसून सत्र कल यानी सोमवार से शुरू होगा। इस सत्र की पूर्व संध्या पर मुंबई के सह्याद्री गेस्ट हाउस में चाय समारोह का आयोजन किया गया। इसके बाद राज्य मंत्रिमंडल की बैठक हुई। कैबिनेट बैठक के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस मौके पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घोषणा की कि वह हिंदी भाषा को लेकर पहले लिए गए दोनों सरकारी फैसलों को वापस ले रहे हैं।देवेंद्र फडणवीस ने क्या कहा?देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि हमारे लिए हिंदी का विषय मराठी का विषय है। हमने राज्य में मराठी को अनिवार्य कर दिया है। हमने तय किया है कि कोई भी भारतीय भाषा सीख सकता है। फिर भी, एक सोए हुए व्यक्ति को जगाया जा सकता है, लेकिन एक व्यक्ति जो सोने का नाटक करता है उसे नहीं जगाया जा सकता। हिंदी वैकल्पिक है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को सबसे पहले कर्नाटक ने लागू किया था। फिर मध्य प्रदेश, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश ने इसे लागू किया। 21 सितंबर, 2020 को महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस शिक्षा नीति को कैसे लागू किया जाए? यह निर्धारित करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त की। इसका जीआर 16 अक्टूबर, 2020 को जारी किया गया था। फडणवीस ने कहा कि इस समिति में बहुत प्रसिद्ध विद्वान थे। डॉ रघुनाथ माशेलकर की अध्यक्षता में 18 लोगों की एक समिति बनाई गई थी। इस समिति में सभी लोग मराठी, प्रसिद्ध और शिक्षा के क्षेत्र को समझने वाले लोग हैं। 14 सितंबर, 2021 को इस समिति ने 101 पन्नों की रिपोर्ट पेश की। मेरे पास इसका ट्वीट है। रिपोर्ट स्वीकार किए जाने के समय उद्धव ठाकरे भी मौजूद थे। डीजीआईपीआर ने इस बारे में ट्वीट किया था। इस रिपोर्ट में क्या कहा गया है?देवेंद्र फडणवीस ने दावा किया कि इस रिपोर्ट के आठवें अध्याय में भाषा का विषय आया है। रिपोर्ट में पेज क्रमांक 56 पर भाषा का विषय है। इसमें एक उपसमूह बनाया गया था। इस उपसमूह के एक महत्वपूर्ण सदस्य शिवसेना यूबीटी के नेता विजय कदम थे। उन्होंने मुद्दा क्रमांक 8.1 में प्रस्ताव रखा कि पहली कक्षा से ही अंग्रेजी और हिंदी को दूसरी भाषा के रूप में लागू किया जाना चाहिए। अगर विद्यार्थी पहली से बारहवीं तक बारह साल तक अंग्रेजी पढ़ेंगे तो उन्हें अंग्रेजी भाषा समझ में आएगी। वे आवश्यक अंग्रेजी पुस्तकें पढ़ सकेंगे। वे आगे की पढ़ाई के लिए सक्षम होंगे। अंग्रेजी और हिंदी को अनिवार्य किया जाना चाहिए। स्नातकोत्तर शिक्षा में भी हिंदी को अनिवार्य किया जाना चाहिए। यह सिफारिश यूबीटी के उपनेताओं ने की है। रिपोर्ट पर उद्धव ठाकरे के हस्ताक्षर-फडणवीसदेवेंद्र फडणवीस ने बताया कि यह रिपोर्ट कैबिनेट में जमा होने के बाद आई। फिर 7 जनवरी 2022 को मिनट्स लिए गए। मेरे पास भी इसके मिनट्स हैं। इस पर उद्धव ठाकरे के हस्ताक्षर हैं। रिपोर्ट स्वीकार करते समय कहीं भी यह नहीं कहा गया कि हम त्रिभाषी फॉर्मूले को स्वीकार नहीं करते। इसके विपरीत हमें तीसरी भाषा की क्या आवश्यकता है? इसी कैबिनेट ने एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट को भी मंजूरी दी है। फडण्वीस ने खुलासा किया कि कुछ लोग कहते हैं कि हमने कोई निर्णय नहीं लिया। हमने केवल रिपोर्ट स्वीकार की। नहीं। हमने यहां कैबिनेट की बैठक में इस मुद्दे को उठाया और इसे मंजूरी दी। इसे लागू करने के लिए एक समिति बनाई गई थी। जब वह समिति काम कर रही थी, तब हमारे समय में जीआर जारी किए गए थे।कब जारी हुआ पहला जीआर?देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि हमने 16 अप्रैल 2025 को पहला जीआर जारी किया था। उस जीआर में हमने कहा था कि मराठी अनिवार्य है। दूसरी भाषा को अंग्रेजी कहा गया, तीसरी भाषा को हिंदी कहा गया। कई लोगों ने इस पर सवाल उठाए। इसके बाद 17 जून को जीआर में बदलाव किया गया। इसमें कहा गया कि कोई भी भारतीय भाषा तीसरी भाषा के तौर पर सीखी जा सकती है। तीसरी भाषा पहली भाषा से नहीं होती। उसका लेखन और वाचन तीसरी भाषा से होता है। पहले दो साल सिर्फ बोली होती है। हमारी सरकार ने जो भी रिपोर्ट हमारे सामने पेश की , उसके आधार पर कोई फैसला नहीं लिया। दोनों जीआर रद्द करने का फैसलाफडणवीस ने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया में राज ठाकरे मौजूद नहीं थे। क्योंकि मंत्रिमंडल या विपक्ष में उनकी पार्टी का कोई नहीं था। राज ठाकरे को पहला सवाल उद्धव ठाकरे से पूछना चाहिए था कि अगर आपने इस फैसले को मंजूरी दी है, तो अब किस मुंह से विरोध कर रहे हैं? यह सवाल पूछा जाना चाहिए। जिस दिन दूसरा जीआर जारी किया गया, उसी दिन स्थिति भी पेश की गई। हम हिंदी को अनिवार्य नहीं करेंगे।क्यों तीसरी भाषा जरूरी?फडणवीस ने कहा किहम चाहते हैं कि ऐसे मुद्दे सर्वसम्मति से मिलें। इसलिए, हमने उस दिन ही कहा था कि हमारे स्कूली शिक्षा मंत्री दादा भुसे सभी से बात करेंगे, सभी के सामने तथ्य रखेंगे, क्योंकि अगर हम तीसरी भाषा नहीं सीखेंगे, तो हमारे मराठी बच्चों को एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट में उच्च अंक नहीं मिलेंगे। लेकिन अन्य माध्यम के छात्रों के लिए मराठी अनिवार्य है। गुजराती माध्यम के छात्र मराठी और अंग्रेजी सीख सकेंगे। इसलिए, उन्हें एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट के अंक मिलेंगे। इससे हमारे मराठी बच्चे वहां पिछड़ जाएंगे और वे प्रवेश के समय पिछड़ जाएंगे।दादा भुसे से फडणवीस ने क्या बात की?फडणवीस ने कहा कि मैंने दादा भुसे से कहा कि यह स्थिति सभी नेताओं और विद्वानों के सामने रखी जानी चाहिए, और फिर सर्वसम्मति से निर्णय लिया जाना चाहिए। इस पर गलत राजनीति की जा रही है। इसलिए, हमने कैबिनेट की बैठक में इस पर चर्चा की। इस समय, हमने तय किया कि राज्य सरकार की ओर से डॉ. नरेंद्र जाधव के नेतृत्व में एक समिति बनाई जाएगी, जो यह तय करेगी कि त्रिभाषा सूत्र के संबंध में किस कक्षा से यह भाषा लागू की जाए, बच्चों को क्या विकल्प दिया जाए। उनके नेतृत्व में एक समिति बनाई जाएगी। इसमें कुछ और सदस्य होंगे। उनके नामों की घोषणा जल्द ही की जाएगी।आगे का फैसला क्या?फडणवीस ने साफ किया कि इस समिति की रिपोर्ट आने के बाद ही त्रिभाषा सूत्र के बारे में निर्णय लागू किया जाएगा। इसलिए, हमने 16 अप्रैल, 2025 और 17 अप्रैल, 2025 के दोनों सरकारी फैसलों को रद्द करने का फैसला किया है। हम दोनों सरकारी फैसलों को रद्द कर रहे हैं। देवेंद्र फडणवीस ने यह घोषणा की। कहा कि नई समिति अध्ययन करेगी। वह सभी की राय सुनेगी और फिर यह रिपोर्ट देगी कि हमारे छात्रों के लाभ के लिए क्या निर्णय लिए जा सकते हैं। उसके बाद राज्य मंत्रिमंडल उस निर्णय को स्वीकार करेगा। हमारी नीति छात्र और मराठी-केंद्रित होगी। हम इसमें कोई राजनीति नहीं करना चाहते हैं।

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