Friday, June 20, 2025
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मुकेश अंबानी ट्रंप के नए बिजनेस पार्टनर, सबसे रईस भारतीय ने राष्‍ट्रपत‍ि के इस कारोबार में क‍ितना लगाया पैसा?

मुकेश अंबानी ट्रंप के नए बिजनेस पार्टनर, सबसे रईस भारतीय ने राष्‍ट्रपत‍ि के इस कारोबार में क‍ितना लगाया पैसा?

नई दिल्ली: भारत के सबसे दौलत व्यक्ति राष्ट्रपति की रियल एस्टेट कंपनी में पैसा लगाने वाले विदेशी डेवलपर्स में शामिल हो गए हैं। वॉल स्ट्रीट जर्नल और अन्य मीडिया आउटलेट्स की रिपोर्टों से इसकी जानकारी मिली है। मुकेश अंबानी की रिलायंस 4IR रियल्टी डेवलपमेंट ने मुंबई में एक रियल एस्टेट परियोजना के लिए ट्रंप ब्रांड का लाइसेंस लेने की खातिर ट्रंप ऑर्गनाइजेशन को 1 करोड़ डॉलर (लगभग 86.5 करोड़ रुपये) का ‘डेवलपमेंट शुल्क’ दिया है। रिलायंस 4IR रियल्टी डेवलपमेंट रिलायंस इंडस्ट्रीज की यूनिट है। वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप परिवार सालों तक कारोबार को वैश्विक राजनीति से दूर रखने के बाद अब सौदेबाजी बढ़ा रहा है। राष्ट्रपति ट्रंप की वार्षिक वित्तीय रिपोर्ट के अनुसार, वियतनाम, दुबई और सऊदी अरब जैसे देशों में ट्रंप -ब्रांडेड प्रोजेक्ट की योजना बना रहे निवेशकों ने ट्रंप ऑर्गनाइजेशन को 2024 में विदेशी लाइसेंसिंग और डेवलपमेंट फीस के रूप में 4.46 करोड़ डॉलर का भुगतान किया। वॉल स्ट्रीट जर्नल का कहना है कि यह आंकड़ा 2023 में 82 लाख डॉलर और 2022 में 94 लाख डॉलर था। इसका मतलब है कि ट्रंप के कारोबार में विदेशी निवेश तेजी से बढ़ रहा है।

ट्रंप परिवार की भारत से जुड़ी सबसे बड़ी बिजनेस डील

भारत के सबसे अमीर आदमी मुकेश अंबानी और ट्रंप ऑर्गनाइजेशन के बीच बड़ा समझौता हुआ है। यह समझौता ट्रंप परिवार की भारत से जुड़ी सबसे बड़ी बिजनेस डील है। इसके तहत अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज की एक यूनिट रिलायंस 4IR रियलिटी डेवलपमेंट मुंबई में एक रियल एस्टेट प्रोजेक्ट के लिए ट्रंप ब्रांड का इस्तेमाल करेगी। इसके लिए कंपनी ने 86.5 करोड़ रुपये की ‘डेवलपमेंट फीस’ दी है। यह समझौता ट्रंप ऑर्गनाइजेशन के इंटरनेशनल बिजनेस में वापसी का संकेत है। इसकी विदेशी लाइसेंसिंग इनकम 2024 में पांच गुना बढ़ गई है।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अनुसार, ट्रंप ऑर्गनाइजेशन ने 2024 में लाइसेंसिंग और डेवलपमेंट फीस के रूप में दुनियाभर में 3,854.9 करोड़ रुपये कमाए। 2023 में यह आंकड़ा सिर्फ 709.3 करोड़ रुपये था।मुंबई में बनने वाले प्रोजेक्ट के बारे में अभी ज्यादा जानकारी नहीं है। लेकिन, यह पहली बार है जब रिलायंस कंपनी ट्रंप ब्रांड के साथ काम कर रही है। अंबानी का बिजनेस पेट्रोकेमिकल्स, टेलीकॉम और रिटेल जैसे क्षेत्रों में फैला हुआ है। अब उनकी कंपनी रियल एस्टेट में भी बढ़ रही है। कंपनी मुंबई में 4,000 एकड़ जमीन पर एक बड़ा प्रोजेक्ट बनाने की योजना बना रही है। रिलायंस ग्रुप और ट्रंप परिवार ने इस समझौते पर कोई बयान नहीं दिया है।

दुनियाभर में अपने बिजनेस को बढ़ाना चाहता है ट्रंप पर‍िवार

यह समझौता दिखाता है कि ट्रंप परिवार अब दुनिया भर में अपने बिजनेस को बढ़ाना चाहता है। पहले कार्यकाल में जब डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बने थे, तब उन्होंने विदेशी डील नहीं करने का फैसला किया था। उन्हें डर था कि इससे हितों का टकराव हो सकता है। लेकिन, अब डोनाल्ड ट्रंप जूनियर, जो एरिक ट्रंप के साथ मिलकर परिवार का बिजनेस चलाते हैं, ने कहा है कि वे अब ऐसा नहीं करेंगे।ट्रंप ऑर्गनाइजेशन की विदेशी इनकम 2024 में बहुत तेजी से बढ़ी है। ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ के अनुसार, सऊदी अरब की दार अल अरकान सबसे बड़ी पार्टनर थी। उसने अकेले सऊदी अरब, ओमान और दुबई में ट्रंप ब्रांडेड प्रोजेक्ट्स के लिए 1,903 करोड़ रुपये दिए। वियतनाम की कंपनी हंग येन हॉस्पिटैलिटी ने 432.5 करोड़ रुपये दिए, जबकि दुबई की दमाक प्रॉपर्टीज ने 449.8 करोड़ रुपये दिए। रिलायंस से मिले 86.5 करोड़ रुपये भी इस ग्रोथ में एक बड़ा योगदान है।

ट्रंप के ब‍िजनेस का मॉडल क्‍या है?

ट्रंप का बिजनेस मॉडल वही है। दूसरी कंपनियां ट्रंप के नाम पर लग्जरी होटल, कॉन्डो या गोल्फ कोर्स बनाती हैं और चलाती हैं। ट्रंप ऑर्गनाइजेशन को एक फिक्स्ड लाइसेंसिंग फीस और इनकम का कुछ हिस्सा मिलता है। इस मॉडल से ट्रंप बिना ज्यादा पैसे लगाए और बिना ज्यादा रिस्क लिए अपने बिजनेस को बढ़ा सकते हैं।मुकेश अंबानी को हमेशा से ही सबसे ज्यादा इंटरनेशनल कनेक्शन वाले भारतीय बिजनेसमैन में से एक माना जाता है। उन्होंने 2017 में वाशिंगटन में डोनाल्ड ट्रंप के इनॉगरेशन में भाग लिया था। हाल ही में वह दोहा में कतर के अमीर की ओर से आयोजित एक स्टेट डिनर में भी शामिल हुए थे, जिसमें राष्ट्रपति ट्रंप भी मौजूद थे।पहले ट्रंप परिवार अपने कारोबार को राजनीति से दूर रखता था। लेकिन, अब ऐसा लग रहा है कि वह विदेश में भी अपने कारोबार को बढ़ाना चाहते हैं। वियतनाम, दुबई और सऊदी अरब में अन्य सौदों के साथ यह सौदा ट्रंप ऑर्गनाइजेशन की रणनीति में एक स्पष्ट बदलाव का संकेत देता है। राष्ट्रपति के रूप में ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान कंपनी ने हितों के टकराव से बचने के लिए नई विदेशी डीलिंग रोकने का संकल्प लिया था।

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