Friday, June 20, 2025
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ये लोकतंत्र के चैंपियन हैं… दूसरों को ज्ञान देने वाले अमेरिका की हकीकत देखें, इन्हें शर्म भी नहीं आती!

ये लोकतंत्र के चैंपियन हैं... दूसरों को ज्ञान देने वाले अमेरिका की हकीकत देखें, इन्हें शर्म भी नहीं आती!

वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर के साथ लंच किया। इस दौरान ट्रंप ने कहा कि वह मुनीर से मुलाकात कर “सम्मानित” महसूस कर रहे हैं। ट्रंप के असीम मुनीर के साथ लंच से ज्यादा उनके सम्मानित होने वाले बयान की चर्चा हो रही है। किसी अमेरिकी राष्ट्राध्यक्ष द्वारा दूसरे देश के बदनाम सेना प्रमुख, जिस पर मानवाधिकार हनन और तानाशाह बनने के आरोप लगे हैं, उससे मिलने के बाद खुद को “सम्मानित” होना बताना समझ से परे है। वो भी तब, जब अमेरिका पूरी दुनिया में खुद को लोकतंत्र का चैंपियन बताता घूमता है और दूसरे देशों के लोकतंत्र में खामियां निकालता रहता है।

ट्रंप-मुनीर मुलाकात पर सवाल क्यों?

सवाल यह भी उठ रहा है कि अगर ट्रंप को पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना था, तो उन्हें उस देश की नागरिक सरकार के प्रमुख को बुलाना चाहिए था। शहबाज शरीफ भले ही पाकिस्तानी सेना के रबर स्टॉम्प हैं, लेकिन एक तथाकथित चुनी हुई सरकार के प्रमुख हैं। ऐसे में अगर ट्रंप उनको बुलाते और फिर “सम्मानित” होने वाला बयान देते, तो शायद ही कोई सवाल उठाता, क्योंकि यह एक लोकतांत्रिक सरकार की दूसरी लोकतांत्रिक सरकार के साथ संबंध रखने की बात होती। लेकिन, ट्रंप ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के ‘बॉस’ यानी जनरल असीम मुनीर को ही बुला लिया।

पाकिस्तान की मेन पार्टी से ट्रंप की डायरेक्ट डील?

डोनाल्ड ट्रंप अपनी बेबाक बयानों के लिए जाने जाते हैं, भले ही वो अमेरिकी विदेश नीति को ही नुकसान पहुंचा दे। वह जानते हैं कि पाकिस्तान का असली मालिक कौन है। अगर ट्रंप शहबाज शरीफ को बुलाकर पाकिस्तान के साथ कोई डील करते, तो वह पाकिस्तानी सेना की मंजूरी के बाद ही लागू होता। ऐसे में ट्रंप ने सीधे पाकिस्तानी सेना से ही डील की और “बिचौलिए” शहबाज सरकार को दूध में गिरी मक्खी की तरह बाहर फेंक दिया। ऐसे में अब अमेरिकी प्रस्तावों को पाकिस्तान में स्क्रूटनी से नहीं गुजरना होगा और वह सीधे लागू हो जाएगा, चाहें सरकार में कोई भी हो।

अमेरिका को बांग्लादेश वाले यूनुस भी प्यारे

पिछले साल अगस्त में शेख हसीना सरकार की पतन के बाद अमेरिका के करीबी मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश की कमान संभाली। उन्हें घोषित तौर पर अमेरिकी डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यूनुस को नोबेल पुरस्कार दिलाने में तत्कालीन ओबामा प्रशासन ने लॉबिंग की थी। इस करीबी का सबूत 2024 के संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान देखने को मिला, जब मोहम्मद यूनुस ने तत्कालीन राष्ट्रपति जो बाइडन से मुलाकात की थी। चूंकि, मोहम्मद यूनुस किसी भी तरह से बांग्लादेश में एक लोकतांत्रिक सरकार का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। इसके बावजूद जो बाइडन ने उनसे मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान बाइडन और यूनुस की बॉडी लैंग्वेज देख हर कोई हैरान था।

अल कायदा के पूर्व आतंकवादी से मिले ट्रंप

दूसरी बार अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने पहली आधिकारिक विदेश यात्रा के लिए सऊदी अरब को चुना, जो राजशाही मुल्क है। इससे पहले ट्रंप इटली भी गए थे लेकिन वह गैर आधिकारिक दौरा था। तब ट्रंप पोप फ्रांसिस के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए पहले रोम फिर वेटिकन सिटी पहुंचे थे। ट्रंप ने सऊदी यात्रा के दौरान न सिर्फ प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अल सऊद से मुलाकत की, बल्कि सीरिया के नए शासक और तथाकथित राष्ट्रपति जो पूर्व में अल कायदा का खूंखार आतंकवादी रह चुका है, अहमद अल शरा से भी मुलाकात की। अल शरा वही है, जिस पर अमेरिकी विदेश विभाग ने इनाम घोषित कर रखा है।

किम जोंग से ट्रंप की दोस्ती

ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन से दोस्ती करने की भरपूर कोशिश की थी। इसके लिए वह खुद दक्षिण कोरिया से होते हुए उत्तर कोरिया की सीमा पर पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने डिमिलिटराइज जोन में किम जोंग उन से मुलाकात भी की थी। हालांकि, किम जोंग उन ने ट्रंप की दोस्ती को स्वीकार नहीं किया और उत्तर कोरिया को दूर कर लिया।

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