Sunday, June 22, 2025
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वापस घर क्यों नहीं आ जाते… ICICI की पूर्व बॉस चंदा कोचर का HDFC को वो ऑफर, दीपक पारेख ने किया खुलासा

वापस घर क्यों नहीं आ जाते... ICICI की पूर्व बॉस चंदा कोचर का HDFC को वो ऑफर, दीपक पारेख ने किया खुलासा

नई दिल्ली: (HDFC) के पूर्व चेयरमैन ने एक दिलचस्प खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि की पूर्व प्रमुख ने एक समय में और ICICI बैंक के आपस में विलय (यानी एक होने) का प्रस्ताव रखा था। यह तब की बात है जब HDFC ने अपनी खुद की बैंकिंग यूनिट HDFC बैंक के साथ विलय नहीं किया था। दीपक पारेख ने बताया कि चंदा कोचर ने उनसे कहा था कि चूंकि ICICI ने ही HDFC की शुरुआत की थी तो क्यों न वह ‘घर वापस आ जाएं’ और दोनों बैंक एक हो जाएं। लेकिन, दीपक पारेख ने उस समय इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। उनका मानना था कि यह उस समय सही नहीं होगा। बाद में HDFC और HDFC बैंक का विलय किसी व्यापारिक महत्वाकांक्षा के कारण नहीं, बल्कि नियामकीय बाध्यताओं के कारण हुआ। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने HDFC जैसी बड़ी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) को, जिनकी संपत्ति ₹5 लाख करोड़ से ज्यादा थी, देश की वित्तीय प्रणाली के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना। RBI ने इस विलय में मदद तो की, लेकिन कोई विशेष छूट नहीं दी। उन्होंने यह भी कहा कि यह सौदा बेहद गोपनीय तरीके से किया गया था ताकि किसी को इसकी भनक न लगे। सरकार को इसकी जानकारी थी क्योंकि आरबीआई उनसे लगातार संपर्क में था।HDFC के पूर्व चेयरमैन दीपक पारेख ने एक बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने बताया है कि ICICI बैंक की पूर्व प्रमुख चंदा कोचर ने एक बार HDFC और ICICI बैंक के विलय का प्रस्ताव रखा था। यह प्रस्ताव HDFC के अपने बैंकिंग यूनिट के साथ विलय से पहले का था। इस प्रस्ताव में दोनों वित्तीय संस्थानों को एक साथ लाने की बात थी।

पारेख ने सुनाया वो क‍िस्‍सा

पारेख ने कोचर के चैनल पर एक बातचीत में कहा, ‘मुझे याद है, आपने मुझसे एक बार बात की थी। मुझे यह बात बहुत अच्छे से याद है। यह बात पहले कभी सार्वजनिक नहीं हुई, लेकिन मैं इसे अब बताने को तैयार हूं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘आपने कहा था कि ICICI ने HDFC की शुरुआत की थी। आपने पूछा, ‘आप वापस घर क्यों नहीं आ जाते?’ यही आपका प्रस्ताव था।’ पारेख ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। उन्होंने कहा कि यह ‘अनुचित’ और ‘गलत’ था, क्योंकि HDFC की अपनी एक अलग पहचान और बैंकिंग ढांचा था।जुलाई 2023 में HDFC और HDFC बैंक का विलय हुआ। पारेख ने बताया कि यह विलय किसी कॉर्पोरेट महत्वाकांक्षा का नतीजा नहीं था। अलबत्ता, यह RBI के दबाव के कारण हुआ था। RBI ने HDFC जैसी बड़ी NBFC (Non-Banking Financial Company) को, जिनकी संपत्ति ₹5 लाख करोड़ से ज्यादा थी, को ‘सिस्टम के लिए महत्वपूर्ण’ माना था। पहले यह सीमा ₹50,000 करोड़ थी।पारेख ने कहा, ‘RBI ने हमारा समर्थन किया और उन्होंने हमें कुछ हद तक इसमें पुश किया। उसने हमारी मदद की।’ हालांकि, उन्होंने यह भी कहा, ‘कोई रियायत नहीं थी, कोई राहत नहीं थी, कोई समय नहीं था, कुछ भी नहीं।’ इस डील को बहुत गुप्त रखा गया था। उन्होंने बताया, ‘इसे गुप्त रखा गया था। किसी को इसके बारे में पता नहीं था। सुबह जब यह खबर प्रेस में आई तभी सबको पता चला। सरकार को पता था क्योंकि RBI उनके संपर्क में था। हमने इसे बहुत गोपनीय रखा था। सिर्फ वकील, ड्यू डिलिजेंस (जांच), और अकाउंटेंट को ही इसकी जानकारी थी।’

व‍िलय पूरा होने के द‍िन ऐसा महसूस क‍िया

पारेख के लिए जिस दिन विलय पूरा हुआ, वह ‘एक दुखद दिन और एक खुशी का दिन’ दोनों था। यह HDFC के एक स्वतंत्र इकाई के रूप में अंत का प्रतीक था। लेकिन, उन्होंने कहा कि भारत को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने वाले बैंक बनाने के लिए यह कदम जरूरी था। उन्होंने कहा, ‘देखिए चीनी बैंक कितने बड़े हैं। हमें भारत में और बड़ा होना होगा।’उन्होंने चेतावनी दी कि भारतीय बैंकों को प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए अधिग्रहण के माध्यम से बढ़ना होगा। व्यापक आर्थिक चिंताओं पर पारेख ने कहा कि CEOs के लिए सप्लाई चेन में रुकावट, निर्यात में अस्थिरता और बदलती व्यापार नीतियां मुख्य चिंताएं हैं।पारेख ने बीमा क्षेत्र पर भी खुलकर बात की। उन्होंने इसे ‘सबसे कम समझा जाने वाला उत्पाद’ बताया। उन्होंने बैंकों को ऊंची कमीशन के लालच में गलत पॉलिसी बेचने के लिए भी फटकार लगाई। पारेख ने बीमा पॉलिसी बेचने वाले बैंकों की आलोचना करते हुए कहा कि बैंक ज्यादा कमीशन पाने के लिए गलत जानकारी देकर पॉलिसी बेचते हैं। इससे ग्राहकों को नुकसान होता है क्योंकि उन्हें पॉलिसी के बारे में सही जानकारी नहीं मिल पाती।

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