क्या है मामला?
दिल्ली हाई कोर्ट के तत्कालीन जज वर्मा के दिल्ली स्थित आधिकारिक आवास परिसर में मार्च महीने में आग लगने की घटना हुई थी और बाद में बैंक नोट की कई जली हुई बोरियां पाई गई थीं। हालांकि, न्यायमूर्ति वर्मा ने नकदी की जानकारी नहीं होने का दावा किया, लेकिन शीर्ष न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति ने कई गवाहों से बात करने और उनके बयान दर्ज करने के बाद उन्हें दोषी ठहराया। ऐसा माना जाता है कि तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने न्यायमूर्ति वर्मा से इस्तीफा देने के लिए कहा था, लेकिन वह अपने रुख पर अड़े रहे। उच्चतम न्यायालय ने उन्हें उनकी मूल अदालत, इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वापस भेज दिया है, जहां उन्हें कोई न्यायिक कार्य नहीं सौंपा गया है।
इस मामले में बड़ी बातें
- सिब्बल की यह टिप्पणी संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू के उस बयान के कुछ दिनों बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि प्रमुख विपक्षी दलों ने न्यायमूर्ति वर्मा को हटाने के प्रस्ताव को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी है और हस्ताक्षर एकत्र करने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू हो सकती है।
- रीजीजू ने कहा कि सरकार ने अब तक यह तय नहीं किया है कि प्रस्ताव लोकसभा में लाया जाएगा या राज्यसभा में। सिब्बल ने न्यायमूर्ति शेखर यादव के खिलाफ प्रस्ताव लाने के लिए विपक्षी सांसदों के नोटिस के बारे में कहा कि यह 13 दिसंबर, 2024 को पेश किया गया था और वह सभापति के कक्ष में गए थे तथा महासचिव ने इसे प्राप्त किया था।
- राज्यसभा सदस्य ने कहा, ‘मैंने किरेन रीजीजू का बयान सुना, उन्होंने कहा कि यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव सत्र के पहले दिन लाया जाएगा और तीन महीने में न्यायाधीशों की जांच समिति के गठन के बाद इसे पारित कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसमें कोई देरी नहीं होनी चाहिए। शेखर यादव का प्रस्ताव दिए हुए तीन महीने बीत चुके हैं।’
- वरिष्ठ अधिवक्ता सिब्बल ने कहा, ‘उनका कहना है कि उन्होंने 7 मार्च, 13 मार्च और 1 मई को ई-मेल भेजे थे। यदि राज्यसभा के 50 सदस्य सहमत हों तो प्रस्ताव को स्वीकार किया जाना चाहिए… मुझे सात मार्च को ई-मेल नहीं मिला, यह मुझे 13 मार्च को मिला… इसमें मेरे हस्ताक्षर के बारे में बात नहीं की गई थी, उन्होंने मुझे सभापति के साथ बातचीत के लिए आने को कहा, वही पत्र एक मई को आया।’
- राज्यसभा सदस्य ने कहा कि यदि हस्ताक्षर के सत्यापन में कोई समस्या नहीं थी, तो उन्हें बातचीत के लिए क्यों बुलाया गया। सिब्बल ने कहा कि उक्त ई-मेल भेजे जाने के बाद उन्होंने संसद में भी भाषण दिया था, लेकिन बजट सत्र के दौरान जब वह सदन में थे, तब उनसे कभी सभापति से मिलने को नहीं कहा गया। राज्यसभा सदस्य ने सरकार पर न्यायमूर्ति यादव को बचाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति यादव की सेवानिवृत्ति 2026 में है और सरकार इस मामले में देरी करना चाहती है। संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होगा और 21 अगस्त को समाप्त होगा।
- न्यायाधीश जांच अधिनियम, 1968 के अनुसार, जब किसी न्यायाधीश को हटाने का प्रस्ताव किसी भी सदन में स्वीकार कर लिया जाता है, तो अध्यक्ष या सभापति, जैसा भी मामला हो, एक तीन-सदस्यीय समिति का गठन करेंगे, जो उन आधारों की जांच करेगी, जिनके आधार पर न्यायाधीश को हटाने (या लोकप्रिय शब्दों में महाभियोग) की मांग की गई है। समिति में भारत के प्रधान न्यायाधीश या उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश, 25 उच्च न्यायालयों में से किसी एक के मुख्य न्यायाधीश और एक ‘प्रतिष्ठित न्यायविद’ शामिल होते हैं।