Monday, July 21, 2025
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1 के सिर पर 100 का बोझ…भारत में सैलरीड क्‍लास कैसे पिस रहा है? एक्‍सपर्ट ने बताया पूरा गण‍ित

1 के सिर पर 100 का बोझ...भारत में सैलरीड क्‍लास कैसे पिस रहा है? एक्‍सपर्ट ने बताया पूरा गण‍ित

नई दिल्‍ली: भारत में टैक्‍स सिस्‍टम का उद्देश्य निष्पक्षता को बढ़ावा देना और राष्ट्रीय विकास को प्रोत्‍साहित करना है। लेकिन, टैक्‍स को कैसे लागू किया जाता है, इसमें बढ़ता असंतुलन सैलरीड क्‍लास को लगातार निराश कर रहा है। हाल के आंकड़ों से पता चला है कि केवल 3% मध्यम वर्ग के टैक्‍सपेयर्स अब प्रत्यक्ष करों में पूरे कॉर्पोरेट इंडिया की तुलना में ज्‍यादा टैक्‍स भरते हैं। यह एक बड़ी असमानता है। इससे टैक्‍स सिस्‍टम की निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं।चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) कपिल गुप्ता ने असमानता के इस पहलू को हाईलाइट किया है। मध्यम वर्ग के लोग कॉर्पोरेट इंडिया से ज्‍यादा डायरेक्ट टैक्स भर रहे हैं। यह दिखाता है कि वेतन पाने वाले लोगों को कितनी मुश्किल हो रही है। ऐसा लगता है कि कर प्रणाली कंपनियों को ज्‍यादा फायदा पहुंचा रही है।

कैसे एक को फायदा, दूसरे को नुकसान?

भारत में टैक्स दो तरह के होते हैं। डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स। कंपनियों को कई तरह की छूट मिलती है। गुप्ता ने कहा, ‘एक व्यक्ति जो 9 करोड़ रुपये कमाता है, वह 4 करोड़ रुपये से ज्‍यादा इनकम टैक्स भरता है। लेकिन, एक व्यापारी जिसका टर्नओवर 20 करोड़ रुपये है, वह सिर्फ 1 करोड़ रुपये का लाभ दिखा सकता है और केवल 30 लाख रुपये टैक्स भरता है।’यह दिखाता है कि सैलरीड क्‍लास के लोगों पर कितना ज्‍यादा टैक्स लगता है। यही लोग डायरेक्ट टैक्स का सबसे ज्‍यादा हिस्सा भरते हैं। इतना टैक्स भरने के बाद भी उन्हें कोई खास सहूल‍ियत नहीं मिलती है।यह समस्या सिर्फ वेतन पाने वाले लोगों तक ही सीमित नहीं है। गुप्ता ने यह भी कहा, ’20 करोड़ रुपये की कृषि आय पर कोई टैक्स नहीं लगता है। एक राजनीतिक पार्टी जो 7,000 करोड़ रुपये जमा करती है, वह भी शून्य टैक्स भरती है।’ इन कानूनी छूटों की वजह से कुछ ही लोग टैक्स का बोझ उठा रहे हैं। इससे टैक्स भरने वाले लोग निराश हैं। यह एक बड़ी समस्या है जिस पर ध्यान देने की जरूरत है।

सैलरीड क्‍लास चाहता है न‍िष्‍पक्षता

गुप्ता ने कहा कि सैलरीड क्‍लास निष्पक्षता की अपेक्षा करता है। उन्होंने कहा, ‘मध्यम वर्ग निष्पक्षता के सपने देखता है। लेकिन, वास्तविकता उन्हें याद दिलाती रहती है कि सिस्टम मेहनत को उस तरह से पुरस्कृत नहीं करता जैसा उसे करना चाहिए।’ ऐसा इसलिए है क्योंकि कुछ प्रभावशाली लोग टैक्स भरने से बच जाते हैं।इस तरह के असंतुलन से कई दिक्कतें हो सकती हैं। जैसे, लोग देश छोड़कर जा सकते हैं। गुप्ता ने कहा, ‘हम सोचते हैं कि भारत के सबसे होशियार लोग बाहर क्यों जा रहे हैं। जो कड़ी मेहनत करता है, मुश्किल परीक्षा पास करता है और अपना करियर बनाता है, वह सबसे ज्‍यादा टैक्स भरता है। जबकि दूसरे लोग जिनकी आय ज्‍यादा है या जिनका प्रभाव है, वे टैक्स भरने से बच जाते हैं।’ इससे देश में अच्छे लोगों को बनाए रखने में मुश्किल हो सकती है। इसका असर देश के विकास पर पड़ सकता है।इन असमानताओं को दूर करने के लिए टैक्स सिस्टम में बदलाव करना जरूरी है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि समाज के सभी लोग बराबर टैक्स भरें। गुप्ता ने कहा, ‘इस समय, इस अंतर को दूर करने की जरूरत है। अगर हम अपने सबसे अच्छे लोगों को बनाए रखना चाहते हैं और लंबे समय तक स्थिरता चाहते हैं तो टैक्स सिस्टम में निष्पक्षता होनी चाहिए, सिर्फ नियमों का पालन नहीं।’अभी, मध्यम वर्ग का एक छोटा सा हिस्सा ही कंपनियों से ज्‍यादा डायरेक्ट टैक्स भरता है। गुप्ता ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि एक वेतनभोगी करदाता 100 लोगों का बोझ उठा रहा है। सिस्टम उन कुछ लोगों से ज्‍यादा उम्मीद करता है जो नियमों का पालन करते हैं। जबकि, पूरी कैटेगरी को बिना टैक्स के छोड़ दिया जाता है।’ अगर इसे ठीक नहीं किया गया तो इससे और भी आर्थिक समस्याएं हो सकती हैं।

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