नई दिल्ली: एक मॉडल की दर्दनाक मौत के बाद सोशल मीडिया पर गुस्से और गम की लहर दौड़ पड़ी है। 30 वर्षीय इस मॉडल को नींद ना आने की समस्या थी, जिसके लिए वो एक जाने-माने डॉक्टर से अपना इलाज करा रही थी। डॉक्टर ने इलाज के तहत उसे ‘मिल्क इंजेक्शन’ दिया और अपने एक नौसिखिए असिस्टेंट के भरोसे छोड़कर चला गया। इंजेक्शन के बाद मॉडल की हालत इस हद तक बिगड़ी कि उसे हॉस्पिटल ले जाया गया और लाइफ सपोर्ट पर रखना पड़ा। 18 दिन बाद उसने दम तोड़ दिया। इंजेक्शन लगाने वाला डॉक्टर अब कानून के शिकंजे में है।मॉडल का नाम था कै युक्सिन, जो ताइवान में होने वाले कार शो में मॉडलिंग करती थी। 5 फुट 7 इंच लंबी कै युक्सिन काफी खूबसूरत थी और लोग उनकी तुलना ताइवान की एक्ट्रेस लिन ची-लिंग से करते थे। 30 वर्षीय इस मॉडल की सोशल मीडिया पर अच्छी खासी फैन फॉलोइंग है और फेसबुक पर उन्हें 32 हजार से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं। लंबे समय से नींद ना आने की समस्या से जूझ रही युक्सिन ने अपने एक दोस्त के कहने पर नींद की थेरेपी लेने का फैसला किया और 25 मई को फेरी क्लिनिक पहुंची। यहां क्लिनिक के डायरेक्टर और जाने माने कॉस्मेटिक डॉक्टर वू शाओहू ने उनकी थेरेपी शुरू की और एक मिल्क इंजेक्शन दिया। मिल्क इंजेक्शन प्रोपोफोल नाम के एनेस्थेटिक इंजेक्शन का निकनेम है। यह एक शक्तिशाली एनेस्थीसिया है, जिसके दूधिया रंग के कारण इसे मिल्क इंजेक्शन नाम दिया गया है।डॉक्टर वू शाओहू को ताइवान में लाइपोसक्शन का गॉडफादर कहा जाता है। मिल्क इंजेक्शन लगाने के बाद, अपने एक नौसिखिया असिस्टेंट के भरोसे युक्सिन को छोड़कर, डॉक्टर वू शाओहू क्लिनिक से चले गए। इस असिस्टेंट के पास नर्सिंग लाइसेंस तक नहीं था। कुछ देर बाद युक्सिन की तबीयत बिगड़ने लगी और उन्होंने सांस लेना बंद कर दिया।
18 दिन बाद तोड़ दिया दम
असिस्टेंट ने तुरंत डॉक्टर को फोन लगाया और उन्होंने वीडियो कॉल के जरिए उसे सीपीआर देने के लिए कहा। डॉक्टर वू शाओहू खुद भी क्लिनिक लौट आए, लेकिन सारी कोशिशें विफल रहीं। आनन-फानन में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया और लाइफ सपोर्ट पर रखा गया। यहां युक्सिन 18 दिनों तक कोमा में रहीं। 12 जून को उनके परिवार ने लाइफ सपोर्ट हटाने का दुखद और भारी फैसला लिया।
डॉक्टर पर चलेगा केस?
अब पुलिस अधिकारियों ने डॉक्टर वू शाओहू के खिलाफ लापरवाही से गंभीर चोट पहुंचाने और मेडिकल केयर एक्ट के उल्लंघन के आरोपों के तहत जांच शुरू कर दी है। ताइवान में प्रोपोफोल एक नियंत्रित दवा है, जिसे केवल प्रोफेशनल डॉक्टर ही दे सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि उचित देखभाल के बिना इसका इस्तेमाल करना खतरनाक और मेडिकल नैतिकता के खिलाफ है।
माइकल जैक्सन की भी ऐसे ही हुई थी मौत
मेडिकल लापरवाही की वजह से सेलिब्रिटी की मौत होना कोई नई बात नहीं है। पॉप आइकन माइकल जैक्सन के साथ भी ऐसी ही एक घटना हुई थी, वह भी नींद ना आने की समस्या से पीड़ित थे। 50 वर्षीय माइकल जैक्सन नींद न आने की समस्या से जूझ रहे थे और अपने अंतिम दिनों में दवाओं पर जिंदा थे। 2011 में उनके पर्सनल डॉक्टर कॉनराड मरे ने उन्हें दवाओं की एक भारी डोज दी, जिसके बाद माइकल जैक्सन की मौत हो गई। कोर्ट ने डॉक्टर मरे को गैर इरादतन हत्या का दोषी पाया।