1969 में वीवी गिरी का इस्तीफा
अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा देने वाले भारत के पहले उपराष्ट्रपति वी.वी. गिरि थे। मई 1969 में जाकिर हुसैन के निधन के बाद वी.वी. गिरि ने कार्यवाहक राष्ट्रपति का पद संभाला था। 20 जुलाई, 1969 को, गिरि ने एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था। देश के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। वी.वी. गिरि के बाद, रामास्वामी वेंकटरमन अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले अपने पद से इस्तीफा देने वाले दूसरे उपराष्ट्रपति बने थे। खास बात है कि 1987 में वेंकटरमन को राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के बाद कांग्रेस पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुने जाने के बाद ही उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
तब मच गई थी राजनीतिक उथल-पुथल
वी. वी. गिरि के निर्णय के परिणामस्वरूप नाटकीय घटनाक्रम हुआ। उस समय कांग्रेस पार्टी में अंदरूनी कलह चल रही थी। पार्टी दो गुटों में बंट गई थी। एक गुट पुराने नेताओं का था, जिसे सिंडिकेट कहा जाता था। वहीं, दूसरा गुट इंदिरा गांधी का था। इस वजह से 1969 का राष्ट्रपति चुनाव बहुत ही मुश्किल भरा रहा।गिरी, इंदिरा गांधी के समर्थन से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े। उनका मुकाबला सिंडिकेट की तरफ से खड़े किए उम्मीदवार नीलम संजीव रेड्डी से था। आखिरकार गिरी अगस्त 1969 में बहुत कम वोटों से चुनाव जीत गए। इस तरह वे भारत के चौथे राष्ट्रपति बने।
सीजेआई ने संभाला था कार्यभार
चूंकि कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में काम कर रहे थे। ऐसे में गिरी के इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों के पद खाली हो गए थे। इसलिए एक अंतरिम व्यवस्था की जरूरत थी। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67(a) के अनुसार, उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति को लिखित नोटिस देकर इस्तीफा दे सकते हैं। इसके तहत इस्तीफा तुरंत स्वीकार हो जाता है। अगर उपराष्ट्रपति का पद खाली है, तो राज्यसभा के उपसभापति अंतरिम रूप से कार्यभार संभालते हैं। अगर राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों का पद खाली है, तो CJI राष्ट्रपति के रूप में कार्य कर सकते हैं। यह बात राष्ट्रपति (कार्यों का निर्वहन) अधिनियम, 1969 में बताई गई है। इस तरह गिरी के इस्तीफे के बाद सीजेआई मोहम्मद हिदायतुल्ल ने राष्ट्रपति का पद संभाला वे एक महीने तक राष्ट्रपति रहे।
शीर्ष तीनों पद पर काम करने वाले एकमात्र भारतीय
हिदायतुल्लाह का एक्टिंग प्रेसिडेंट के रूप में कार्यकाल ऐतिहासिक था। उन्होंने उस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन की भारत यात्रा पर उनकी मेजबानी की थी। उन्होंने राष्ट्रपति भवन के बैंक्वेट हॉल में एक भाषण भी दिया था। इस तरह मोहम्मद हिदायतुल्ला देश के एकमात्र और पहले ऐसे व्यक्ति रहे जिन्होंने राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और सीजेआई का कार्यभार संभाला था।हिदायतुल्ला फरवरी 1968 से 1970 तक देश के सीजेआई रहे। इस दौरान राष्ट्रपति जाकिर हुसैन के निधन के बाद उन्होंने कार्यवाहक राष्ट्रपति का कार्यभार भी संभाला। साथ ही वीवी गिरी के इस्तीफे के बाद उन्होंने उपराष्ट्रपति के दायित्वों का भी निर्वहन किया। गिरी के इस्तीफे के बाद देश में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों पद खाली थे। ऐसे में हिदायतुल्ला को 20 जुलाई से 24 मई 1969 तक कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था।