Friday, June 20, 2025
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नेवी के जिस ‘अर्नाला’ को देखकर छूटी पाकिस्तान की कंपकंपी, उसे किसने बनाया है, क‍ितनी आई है कॉस्ट?

नेवी के जिस 'अर्नाला' को देखकर छूटी पाकिस्तान की कंपकंपी, उसे किसने बनाया है, क‍ितनी आई है कॉस्ट?

नई दिल्ली: समंदर में भारत की ताकत में बड़ा इजाफा हुआ है। पनडुब्बी रोधी युद्धपोत अब भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल हो गया है। अर्नाला उथले जल के युद्धपोत सीरीज का पहला जहाज है। यह पानी की सतह के नीचे निगरानी, खोज और बचाव अभियान के साथ कम तीव्रता वाले समुद्री अभियानों को अंजाम देने में सक्षम है। 77 मीटर लंबा और 1490 टन से ज्यादा वजन वाला यह युद्धपोत डीजल इंजन-वॉटरजेट संयोजन से संचालित होने वाला सबसे बड़ा भारतीय नौसैनिक युद्धपोत है। भारतीय नौसेना के ज‍िस आईएएनस अर्नाला को देखकर पाकिस्तान के पसीने छूट गए हैं, उसे गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE), कोलकाता ने बनाया है। यह L&T शिपबिल्डर्स के सहयोग से निर्मित किया गया है।आईएनएस अर्नाला में 80 फीसदी से ज्यादा स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल किया गया है। इसके कम्पोनेंट की सप्लाई प्रमुख भारतीय रक्षा कंपनियों और 55 से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) ने की है। इसमें भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल), एलएंडटी, महिंद्रा डिफेंस और एमईआईएल जैसी प्रमुख भारतीय रक्षा कंपनियों की उन्नत प्रणालियों को इंटीग्रेट किया गया है।

काफी बड़ा है ये प्रोजेक्‍ट

गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE), कोलकाता इन युद्धपोतों का निर्माण कर रही है। प्रत्येक कंपनी इनमें से आठ जहाजों का निर्माण करेगी। जहां तक लागत की बात है तो INS अर्नाला 16 एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (ASW-SWC) जहाजों के पूरे कार्यक्रम का हिस्सा है। इसकी कुल लागत 12,622 करोड़ रुपये है। इस हिसाब से प्रति जहाज लगभग 789 करोड़ रुपये की लागत आती है।महाराष्ट्र के वसई स्थित ऐतिहासिक अर्नाला किले के नाम पर इस युद्धपोत का नाम रखा गया है। यह भारत की समृद्ध समुद्री विरासत को दर्शाता है। इस किले का निर्माण साल 1737 में मराठाओं की ओर से चिमाजी आप्पा के नेतृत्व में किया गया था। यह किला रणनीतिक रूप से वैतरणा नदी के मुहाने की निगरानी के लिए था। उत्तरी कोंकण तट पर यह प्रहरी की भूमिका निभाता था।

क्या करती है जीआरएसई?

गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) कोलकाता, भारत की एक प्रमुख जहाज निर्माण कंपनी है। यह भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अधीन सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम (PSU) है। जीआरएसई मुख्य रूप से भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल के लिए विभिन्न प्रकार के युद्धपोत और अन्य पोत बनाती है। इसके अलावा, यह कभी-कभी निर्यात के लिए भी जहाज बनाती है। GRSE का भारतीय नौसेना के आधुनिकीकरण और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल में महत्वपूर्ण योगदान है। कारण है कि यह देश की रक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्वदेशी रूप से जहाजों का निर्माण करती है।

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