ईरान के आसपास बढ़ रही अमेरिकी सेना
द बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, 16 जून को कम से कम 31 ईंधन भरने वाले विमान अमेरिकी ठिकानों से यूरोप की ओर रवाना हुए, जो में ऑपरेशन के लिए महत्वपूर्ण पड़ाव बिंदुओं पर रुके हैं। हालांकि अमेरिकी अधिकारियों ने ऐसे तैनात विमानों की सटीक संख्या पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया लेकिv ऐसे 31 विमानों का बेड़ा एक साथ काम करने वाले 200 लड़ाकू विमानों का समर्थन कर सकता है।अमेरिकी फौज की इस तैनाती से पता चलता है कि यह संभावित रूप से ईरान में ऑपरेशन की तैयारी है। यूएसएस निमित्ज कैरियर स्ट्राइक ग्रुप ने वियतनाम में अपनी निर्धारित पोर्ट कॉल रद्द कर दी है। ये अमेरिकी जंगी जहाज दक्षिण चीन सागर छोड़कर पश्चिम एशिया में विमान वाहक पोतों में शामिल होने जा रहा है। अमेरिका ने इजरायल के साथ ईरान पर हमले का फैसला लिया तो ये ईंधन भरने वाले विमान और विमान वाहक पोत उसके लिए सबसे अहम होंगे।
इजरायल को क्यों चाहिए अमेरिकी मदद
इजरायल ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम की साइटों को निशाना बनाते हुए बमबारी की है। हालांकि इमें ईरान के परमाणु कार्यक्रम को बहुत बड़ा नुकसान नहीं होने की बात कही जा रही है। इसकी वजह ईरान परमाणु साइटों का जमीन के नीचे होना है। इजरायल के पास ऐसे बम नहीं हैं तो बहुत जमीन के अंदर तक जा सकें। ऐसे में इजरायल को अमेरिकी मदद की जरूरत है क्योंकि अमेरिकी वायु सेना ही B-2 बमवर्षक का उपयोग करके जमीन के नीचे हमला कर सकती है।