दूरदर्शी सोच के पर्याय थे कल्पनाथ राय
कल्पनाथ राय की मांग को स्वीकार कर तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने 19 नवंबर सन् 1988 को यानी उसी साल मऊ को जिला घोषित कर दिया। तत्कालीन मऊ जनपद में आजमगढ़ जनपद के 8 ब्लॉक परदहा, कोपागंज, घोसी, बडराव, दोहरीघाट, फतेहपुर मंडाव, मुहम्मदाबाद,रानीपुर और बलिया जिले से एक ब्लॉक रतनपुरा को शामिल किया गया। जिला बनाने के साथ ही कल्पनाथ राय ने मऊ की विकास गाथा और तेज कर दी। उन्होंने मऊ में 1990 के दशक में ही वे आधुनकि सुविधाएं उपलब्ध करा दीं, जो अन्य स्थानों पर वर्तमान में मुहैया हो रही हैं, लेकिन 1999 में उनकी आंख बंद होते ही कई महत्वाकांक्षी सुविधाएं, जो उनका सपना थीं, मऊ के लोगों को नसीब नहीं हुई। इनमें स्वदेशी कॉटन मिल, गन्ना अनुसंधान केंद्र, कृषि विश्वविद्यालय, सौर ऊर्जा द्वारा बिजली उत्पादन, थर्मल पावर स्टेशन, एयरपोर्ट आदि शामिल थीं।
तत्कालीन प्रधानमंत्री से बगावत
1996 के लोकसभा चुनाव के समय कल्पनाथ राय का देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव से मतभेद हो गए थे और उन्होंने नरसिम्हा राव से बगावत कर जेल के अंदर से ही निर्दलीय ताल ठोक दी। मऊ की मीडिया ने इसे राय बनाम राव की जंग करार दिया। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने कल्पनाथ राय का चुनाव प्रचार किया था। 1996 ही वह दौर था, जब मऊ अपना राजनीतिक वर्चस्व बढ़ा रहा था। कई गाड़ियों के काफिले के साथ मुख्तार अंसारी मऊ के गलियों में घूमता था। जेल से छूटने के बाद कल्पनाथ राय को जब इस बात की जानकारी हुई तो उन्होंने तत्कालीन गृह सचिव को फोन कर मुख्तार अंसारी की सारी गाड़ियों को सीज करा दिया। जिसके बाद मुख्तार एक गाड़ी से चलने लगा।
मुख्तार अंसारी को हराया चुनाव
कल्पनाथ राय के राजनीतिक रसूख को 1996 के लोकसभा चुनाव में मुख्तार अंसारी ने चैलेंज करने का प्रयास तो जरूर किया, लेकिन उसे हार का सामना करना पड़ा। 1996 के चुनाव में घोसी की जनता खुद कल्पनाथ राय का चुनाव लड़ता देखी थी। लोकसभा में कल्पनाथ राय की यह जीत ने एक तरफ जहां लोकसभा में बसपा प्रत्याशी मुख्तार अंसारी राजनीतिक रसूख को झटका दिया तो वहीं दूसरी तरफ तत्कालीन प्रधानमंत्री को भी एक बड़ा सबक दिया।