जगुवार की 6 स्क्वॉड्र्न
एयरफोर्स के पास जगुवार फाइटर जेट की 6 स्क्वॉड्रन हैं। इस फाइटर जेट को बनाने के लिए ब्रिटेन और फ्रांस ने साझेदारी की थी। इसके हाई विंग लोडिंग डिजाइन की वजह से यह कम ऊंचाई पर स्थिर उड़ान भर सकता है। ये 1700 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है। ये ट्विन इंजन एयरक्राफ्ट है। ये 1970 के दशक से इंडियन एयरफोर्स का हिस्सा है।
सिर्फ इंडियन एयरफोर्स कर रही जगुआर का इस्तेमाल
जगुआर वैसे तो कई देशों की एयरफोर्स का हिस्सा रहा है, लेकिन अभी सिर्फ इंडियन एयरफोर्स ही इसका इस्तेमाल कर रही है। जुगआर को ब्रिटेन की रॉयल एयरफोर्स ने 2007 तक हटा लिया और इसकी जगह दूसरे एयरक्राफ्ट ने ली। फ्रांस की एयरफोर्स ने भी 2005 तक ही जगुआर का इस्तेमाल किया। ओमान की एयरफोर्स ने साल 2014 में जगुआर को सेवा से रिटायर किया।
क्यों क्रैश हो रहे हैं जगुआर
क्या जगुआर पुराने हो गए हैं इसलिए क्रैश हो रहे हैं? इस बात से इंडियन एयरफोर्स में फाइटर पायलट रह चुके और जगुआर उड़ा चुके विंग कमांडर रोहित काद्यान (रिटायर्ड) इत्तफाक नहीं रखते। उन्होंने कहा कि मैंने यह फाइटर जेट 20 साल उड़ाया है। एयरफोर्स का मेंटेनेंस बहुत अच्छा है और एयरफोर्स मेंटेनेंस की बेस्ट प्रैक्टिस फॉलो करती है। उन्होंने कहा कि मशीन में कब टेक्निकल फॉल्ट आ जाए ये कोई प्रिडिक्ट नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि जगुआर सबसे अच्छे फाइटर जेट में से एक है। यह कम ऊंचाई में भी बहुत स्टेबल रहता है। इसे एयरफोर्स ने कई बार अपग्रेड किया है और इसमें नेविगेशन की भी लेटेस्ट टेक्नॉलजी है। उन्होंने कहा कि जगुआर सभी तरह के कंवेंशनल और गाइडेड वेपन कैरी कर सकता है और यह बहुत एक्यूरेट है। इसका कॉकपिट पायलट फ्रेंडली है।
मिग से तुलना नहीं कर सकते
एक वक्त में मिग-21 फाइटर जेट क्रैश होने की इतनी घटनाएं हुई कि तब इन्हें फ्लाइंग कॉफिन कहा जाने लगा था। 2013 में उस वक्त के डिफेंस मिनिस्टर एके एंटनी ने संसद में बताया था कि 1963 से 2012 तक 482 बार मिग-21 क्रैश हुए जिसमें 171 पायलट की जान गई। विंग कमांडर काद्यान ने कहा कि जगुआर की तुलना मिग-21 से नहीं कर सकते। मिग के अपने इश्यू थे और उसके इंजन में जो दिक्कत थी वह एक बार जब पकड़ में आ गई तो फिर उसे दूर किया गया। जगुआर में ऐसा कोई इश्यू नहीं है।