राक्षसी कृत्य के लिए कड़ी सजा
मामले की सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमित सहरावत ने कहा कि इस ‘राक्षसी कृत्य’ के लिए व्यक्ति को ‘कड़ी सजा’ दी जानी चाहिए। अदालत बलात्कार और पॉक्सो अधिनियम की धारा छह (गंभीर प्रवेशन यौन हमले) के तहत दोषी के खिलाफ सजा पर सुनवाई कर रही थी। सात जुलाई को अदालत ने कहा, ‘दोषी को सजा सुनाते समय इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि दोषी ने न केवल नाबालिग पीड़िता के साथ बलात्कार किया, बल्कि उसने उसे लगभग 18 सप्ताह तक गर्भवती भी बनाए रखा।’
पीड़िता को मानसिक, शारीरिक आघात
आदेश में कहा गया है कि पीड़िता को जो असहनीय मानसिक और शारीरिक आघात सहना पड़ा है, उसके कारण इस व्यक्ति का ‘कुकृत्य’ नरमी बरतने के दायरे से बाहर है। अदालत ने मृत्युदंड के खिलाफ फैसला देते हुए कहा कि यह अपराध समग्र समाज के विरुद्ध नहीं है। उस व्यक्ति को ‘शेष प्राकृतिक जीवन’ तक सलाखों के पीछे रहने का आदेश दिया गया। अदालत ने पीड़िता को 16.5 लाख रुपये का मुआवजा भी देने का आदेश दिया।